लिप्यंतरण:( Wa daa'iyan ilal laahi bi iznihee wa siraajam muneeraa )
34. इस आयत में यह संकेत है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) दिव्य प्रदीप के समान पूरे मानव विश्व को सत्य के प्रकाश से, जो एकेश्वरवाद तथा एक अल्लाह की इबादत है, प्रकाशित करने के लिए आए हैं। और यही आपकी विशेषता है कि आप किसी जाति या देश अथवा वर्ण-वर्ग के लिए नहीं आए हैं। और अब प्रलय तक सत्य का प्रकाश आप ही के अनुसरण से प्राप्त हो सकता है।
The tafsir of Surah Ahzab verse 46 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Ahzab ayat 45 which provides the complete commentary from verse 45 through 49.

सूरा अल-अहज़ाब आयत 46 तफ़सीर (टिप्पणी)