लिप्यंतरण:( Wa azinat li Rabbihaa wa huqqat )
1. (1-5) इन आयतों में प्रलय के समय आकाश एवं धरती में जो हलचल होगी उसका चित्रण करते हुए यह बताया गया है कि इस ब्रह्मांड के विधाता के आज्ञानुसार ये आकाश और धरती कार्यरत हैं और प्रलय के समय भी उसी की आज्ञा का पालन करेंगे। धरती को फैलाने का अर्थ यह है कि पर्वत आदि खंड-खंड होकर समस्त भूमि चौरस कर दी जाएगी।
The tafsir of Surah Inshiqaq verse 5 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Inshiqaq ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 15.
सूरा अल-इन्शिक़ाक़ आयत 5 तफ़सीर (टिप्पणी)