लिप्यंतरण:( Wa maa lakum laa tu'minoona billaahi war Rasoolu yad'ookum li tu'minoo bi Rabbikum wa qad akhaza meesaaqakum in kuntum mu'mineen )
2. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)। 3. (देखिए : सूरतुल-आराफ़, आयत : 172)। इब्ने कसीर ने इससे अभिप्राय वह वचन लिया है जिसका वर्णन सूरतुल-माइदा, आयत : 7 में है। जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के द्वारा सह़ाबा से लिया गया कि वे आपकी बातें सुनेंगे तथा सुख-दुःख में अनुपालन करेंगे। और प्रिय और अप्रिय में सच बोलेंगे। तथा किसी की निंदा से नहीं डरेंगे। (बुख़ारी : 7199, मुस्लिम :1709)
The tafsir of Surah Hadid verse 8 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Hadid ayat 7 which provides the complete commentary from verse 7 through 11.
सूरा अल-हदीद आयत 8 तफ़सीर (टिप्पणी)