लिप्यंतरण:( Wa fee khalaqikum wa maa yabussu min daaabbatin Aayaatul liqawminy-yooqinoon )
2. तौह़ीद (एकेश्वरवाद) के प्रकरण में क़ुरआन ने प्रत्येक स्थान पर आकाश तथा धरती में अल्लाह के सामर्थ्य की फैली हुई निशानियों को प्रस्तुत किया है। और यह बताया है कि जैसे उसने वर्षा द्वारा मनुष्य के आर्थिक जीवन की व्यवस्था कर दी है, वैसे ही रसूलों तथा पुस्तकों द्वारा उसके आत्मिक जीवन की व्यवस्था कर दी है जिसपर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह विश्व की व्यवस्था स्वयं ऐसी खुली पुस्तक है जिसके पश्चात् ईमान लाने के लिए किसी और प्रमाण की आवश्यकता नहीं है।
The tafsir of Surah Jathiya verse 4 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Jathiya ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 5.
सूरा अल-जासिया आयत 4 तफ़सीर (टिप्पणी)