अच्छाई और बुराई के दो मार्ग: मार्गदर्शन और दया (The Two Paths of Good and Evil: Guidance and Mercy)
यह व्याख्या अल्लाह की दया (mercy) को उजागर करती है और मानवता को दिए गए दो मार्गों—अच्छाई (good) और बुराई (evil)—के बीच चयन (choice) के लिए अल्लाह द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन (guidance) को स्पष्ट करती है।
दया के माध्यम से माँगना (Mercy Through Seeking)
- माँ के दूध से भरे हुए स्तनों का संदर्भ (reference) रूपक रूप में यह इंगीत करता है कि जैसे एक बच्चा माँ से पोषण (sustenance) प्राप्त करने के लिए रोता है और भूखा होने पर ध्यान आकर्षित करता है, वैसे ही एक व्यक्ति को अल्लाह से दया (mercy) प्राप्त करने के लिए तौबा (repentance) और आँसू (weeping) के माध्यम से माँगना चाहिए।
- बच्चे का रोना विनम्रता (humility) और अल्लाह की दया पर निर्भरता (dependence) का प्रतीक (symbol) है। यह सिखाता है कि व्यक्ति को कभी भी अल्लाह की दया से निराश (despair) नहीं होना चाहिए, चाहे स्थिति (situation) कितनी भी कठिन क्यों न हो। जैसे अल्लाह ने बच्चे को उसकी निर्बल स्थिति में पोषण दिया, वैसे ही वह अपनी सृजन (creation) को पोषण देता रहेगा, और उसकी दया अनंत (infinite) है।
शुद्धता और मार्गदर्शन का मार्ग (The Path of Purity and Guidance)
- यह व्याख्या इस आयत को आत्मा की शुद्धता (purification of the soul) और व्यक्ति की शारीरिक (physical) स्थिति (state) से जोड़ती है। शरिया (Shariah), इस्लामी कानून (Islamic law), का उद्देश्य दिल की शुद्धि (purification) करना है और व्यक्ति को सच्चाई (righteousness) की ओर मार्गदर्शन (guide) करना है।
- शरिया के साथ-साथ, तरेक़त (Tareeqat), जो कि एक रहस्यमय (mystic) जीवन पद्धति (way of life) है, जो आध्यात्मिक विकास (spiritual development) की ओर ले जाती है। ये दोनों मार्ग अंततः अल्लाह (Allah) की ओर ले जाते हैं और व्यक्ति को बुराई के मार्ग से बचाते हैं।
ईश्वरीय मार्गदर्शन (Divine Guidance)
- अल्लाह ने मानवता को अच्छाई (goodness) के मार्ग और बुराई (evil) के मार्ग दिखाए हैं। ये मार्ग (paths) मनुष्यों को चुनाव की स्वतंत्रता (freedom of choice) देते हैं, और सही मार्ग वह है जो अल्लाह की प्रसन्नता (pleasure), शांति (peace), और मुक्ति (salvation) की ओर ले जाता है।
ईश्वरीय प्रावधान और दया (Divine Provision and Mercy)
- शिशु के पोषण (nourishment) के लिए माँ पर निर्भरता (dependence) के उदाहरण के माध्यम से यह विश्वास (belief) व्यक्त किया जाता है कि जैसे अल्लाह ने मनुष्यों को उनकी सबसे कमजोर स्थिति (vulnerable state) में पहले से प्रदान किया है, वैसे ही वह जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें प्रदान करता रहेगा। यह आत्मविश्वास (reassurance) प्रदान करता है और जीवन के हर चरण (stage) में अल्लाह की दया (mercy) और प्रावधान (provision) पर निर्भरता (reliance) को प्रोत्साहित (encourage) करता है।
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah Balad verse 10 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Balad ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 10.
सूरा आयत 10 तफ़सीर (टिप्पणी)