Quran Quote  : 

कुरान मजीद-42:21 सुरा अश-शूरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

أَمۡ لَهُمۡ شُرَكَـٰٓؤُاْ شَرَعُواْ لَهُم مِّنَ ٱلدِّينِ مَا لَمۡ يَأۡذَنۢ بِهِ ٱللَّهُۚ وَلَوۡلَا كَلِمَةُ ٱلۡفَصۡلِ لَقُضِيَ بَيۡنَهُمۡۗ وَإِنَّ ٱلظَّـٰلِمِينَ لَهُمۡ عَذَابٌ أَلِيمٞ

लिप्यंतरण:( Am lahum shurakaaa'u shara'oo lahum minad deeni maa lam ya'zan bihil laah; wa law laa kalimatul fasli laqudiya bainahum; wa innaz zaalimeena lahum 'azaabun aleem )

या इन (मुश्रिकों) के कुछ ऐसे साझी[20] हैं, जिन्होंने उनके लिए धर्म का एक ऐसा नियम निर्धारित किया है जिसकी अल्लाह ने अनुमति नहीं दी है? और यदि नियत की हुई बात न होती, तो अवश्य उनके बीच निर्णय कर दिया जाता तथा निश्चय ही अत्याचारियों के लिए दुखद यातना है।

सूरा अश-शूरा आयत 21 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

20. इससे अभिप्राय उनके वे प्रमुख हैं जो वैध-अवैध का नियम बनाते थे। इसमें यह संकेत है कि धार्मिक जीवन-विधान बनाने का अधिकार केवल अल्लाह को है। उसके सिवा दूसरों के बनाए हुये धार्मिक जीवन-विधान को मानना और उसका पालन करना शिर्क है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Shura verse 21 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Shura ayat 19 which provides the complete commentary from verse 19 through 23.

सूरा अश-शूरा सभी आयत (छंद)

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