लिप्यंतरण:( Qaala fa innahaa muhar ramatun 'alaihim arba'eena sanah; yateehoona fil ard; falaa taasa 'alal qawmil faasiqeen )
22. इन आयतों का भावार्थ यह है कि जब मूसा अलैहिस्सलाम बनी इसराईल को लेकर मिस्र से निकले, तो अल्लाह ने उन्हें बैतुल मक़्दिस में प्रवेश कर जाने का आदेश दिया, जिस पर अमालिक़ा जाति का क़ब्ज़ा था और वही उसके शासक थे। परंतु बनी इसराईल ने, जो कायर हो गए थे, अमालिक़ा से युद्ध करने का साहस नहीं किया। और इस आदेश का विरोध किया, जिसके परिणाम स्वरूप उसी क्षेत्र में 40 वर्ष तक फिरते रहे। और जब 40 वर्ष बीत गए, और एक नया वंश जो साहसी था पैदा हो गया, तो उसने उस धरती पर अधिकार कर लिया। (इब्ने कसीर)
The tafsir of Surah Maidah verse 26 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Maidah ayat 20 which provides the complete commentary from verse 20 through 26.
सूरा अल-मायदा आयत 26 तफ़सीर (टिप्पणी)