लिप्यंतरण:( Allazeena yukazziboona bi yawmid deen )
\"वे लोग जो क़यामत के दिन को झुटलाते हैं।\"
🔸 यह आयत उन लोगों की तबाही और बर्बादी को बयान करती है जो क़यामत के दिन को नहीं मानते और गुनाहों में डूबे रहते हैं।
🔹 पूरा अज़ाब उन काफ़िरों के लिए है जो आख़िरत को पूरी तरह झुटलाते हैं—वे हमेशा के लिए सज़ा से नहीं बच सकेंगे।
🔹 कम अज़ाब उन गुनाहगार मोमिनों के लिए है जो क़यामत पर इमान रखते हैं लेकिन फिर भी गुनाह करते हैं—हालांकि वे सज़ा भुगतेंगे, लेकिन आख़िरकार माफ़ कर दिए जाएंगे और निजात पा लेंगे।
🔸 सबसे अहम सबक यह है कि हिसाब-किताब का इनकार पूरी तबाही का कारण बनता है, जबकि इमान रखने के बावजूद गुनाह करना भी गंभीर अंजाम तक पहुंचा सकता है।
The tafsir of Surah Mutaffifin verse 11 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Mutaffifin ayat 7 which provides the complete commentary from verse 7 through 17.
सूरा आयत 11 तफ़सीर (टिप्पणी)