लिप्यंतरण:( Kallaaa innahum 'ar Rabbihim yawma'izil lamah jooboon )
\"यक़ीनन, उस दिन वे अपने परवरदिगार को देखने से महरूम रखे जाएंगे।\"
🔸 क़यामत के दिन काफ़िरों को अल्लाह के दीदार (दर्शन) से महरूम रखा जाएगा, और यही उनकी सबसे बड़ी सज़ा होगी।
🔹 इस आयत से हमें तीन अहम बातें सीखने को मिलती हैं:
🔹 अल्लाह को देखना सबसे बड़ी नेमत होगी – उस दिन हर जान अल्लाह के दीदार की तलब करेगी, और इससे महरूम रहना बहुत सख़्त अज़ाब होगा।
🔹 मोमिनों को यह इनाम मिलेगा – यह सिर्फ़ नेकी का बदला नहीं, बल्कि अल्लाह की ख़ास रहमत होगी। इस नेमत को पाने के लिए फ़ज्र और अस्र की नमाज़ पाबंदी से पढ़नी चाहिए।
🔹 नबी ﷺ की सच्ची मुहब्बत इस इनाम तक पहुँचाएगी – जिसने इस दुनिया में अपने रुहानी नज़रिए से हज़रत मुहम्मद ﷺ की हुस्न और रहमत को पहचाना, वही आख़िरत में अल्लाह के दीदार से नवाज़ा जाएगा।
🔸 अल्लाह हर एक से कलाम करेगा, लेकिन मोमिनों से रहमत भरी बातें होंगी और काफ़िरों के लिए ग़ज़ब के अल्फ़ाज़ होंगे। इसके बाद, अल्लाह काफ़िरों से छुपा नहीं होगा, बल्कि काफ़िरों को उस तक पहुँचने से रोका जाएगा, और यही उनकी सबसे बड़ी सज़ा होगी।
The tafsir of Surah Mutaffifin verse 15 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Mutaffifin ayat 7 which provides the complete commentary from verse 7 through 17.

सूरा आयत 15 तफ़सीर (टिप्पणी)