लिप्यंतरण:( Kallaa bal raana 'alaa quloobihim maa kaanoo yaksiboon )
\"हरगिज़ नहीं! बल्कि जो उन्होंने कमाया, उसने उनके दिलों पर जंग लगा दी।\"
🔸 इस आयत में बताया गया है कि गुनाह इंसान के दिल को सख़्त और मैला बना देते हैं।
🔹 जब कोई बार-बार गुनाह करता है, तो उसका दिल जंग खा जाता है और हक़ बात को क़ुबूल करने से इनकार करने लगता है।
🔹 नेकियाँ, ख़ासकर नेक लोगों की सोहबत दिल को साफ़ और रुहानियत से भरपूर बनाती हैं।
🔹 जो इंसान गुनाहों में डूबा रहता है, उसके लिए हिदायत को पहचानना और उसे क़ुबूल करना मुश्किल हो जाता है।
🔸 इसलिए दिल की पाकीज़गी नेक आमाल से क़ायम रहती है, जबकि गुनाह इंसान के दिल को पूरी तरह स्याह कर देते हैं।
The tafsir of Surah Mutaffifin verse 14 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Mutaffifin ayat 7 which provides the complete commentary from verse 7 through 17.

सूरा आयत 14 तफ़सीर (टिप्पणी)