लिप्यंतरण:( Yashhadu hul muqarra boon )
📖 \"जिसे चुने हुए लोग देखेंगे।\"
🔹 इस आयत में इल्लीयीन की अज़मत (महानता) को बयान किया गया है कि यह न सिर्फ़ एक बुलंद मक़ाम है, बल्कि इसे इज़्ज़तदार हस्तियाँ देखती और गवाही देती हैं।
🕌 \"यश-हदु\" (वह देखेगा) का अर्थ दो तरह से लिया जा सकता है:
🟢 शुहूद (हर वक़्त मौजूद रहना) – यानी फ़रिश्ते हमेशा इल्लीयीन में मौजूद रहते हैं।
🟢 मुशाहदा (देखना और गवाह बनना) – यानी क़यामत के दिन यह मक़ाम साफ़ तौर पर देखा जाएगा।
💠 फ़रिश्ते – वे यहाँ इज्ज़त और अदब के साथ हाज़िर रहते हैं, इसकी हिफ़ाज़त करते हैं और इबादत में मसरूफ़ होते हैं।
💠 क़यामत के दिन – फ़रिश्ते अल्लाह की अदालत (Divine Court) में ख़ास एहतराम के साथ खड़े होंगे।
💠 अल्लाह के चुने हुए नेक बंदे – वे इल्लीयीन में लिखे गए नामों को पहचानेंगे और हर मोमिन के दर्जे को जान लेंगे।
📜 वो फ़रिश्ते – जो हमेशा अल्लाह की इबादत में रहते हैं।
📜 वो नेक लोग – जिन्हें अल्लाह का क़रीब होने का शरफ़ मिला और जो जन्नत व जहन्नम के अहल (अधिवासी) को पहचानते हैं।
📜 कुछ रुहें – तफ़सीर अज़ीजी के मुताबिक़, कुछ पाक रुहें इल्लीयीन में, कुछ ज़मज़म में और कुछ आसमान और ज़मीन के दरमियान मौजूद रहती हैं।
🔹 यह आयत बताती है कि जिनका रिकॉर्ड इल्लीयीन में दर्ज है, वे बहुत बड़े मक़ाम के मालिक हैं, और उन्हें सबसे इज़्ज़तदार हस्तियाँ देखती और गवाही देती हैं।
The tafsir of Surah Mutaffifin verse 21 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Mutaffifin ayat 18 which provides the complete commentary from verse 18 through 28.

सूरा आयत 21 तफ़सीर (टिप्पणी)