Quran Quote  : 

कुरान मजीद-4:51 सुरा अन-निसा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

أَلَمۡ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ أُوتُواْ نَصِيبٗا مِّنَ ٱلۡكِتَٰبِ يُؤۡمِنُونَ بِٱلۡجِبۡتِ وَٱلطَّـٰغُوتِ وَيَقُولُونَ لِلَّذِينَ كَفَرُواْ هَـٰٓؤُلَآءِ أَهۡدَىٰ مِنَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ سَبِيلًا

लिप्यंतरण:( Alam tara ilal lazeena 'ootoo naseebam minal kitaabi yu'minoona bil Jibti wat Taaghooti wa yaqooloona lillazeena kafaroo haaa ulaaa'i ahdaa minal lazeena aamanoo sabeelaa )

(ऐ नबी!) क्या आपने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें पुस्तक का कुछ भाग दिया गया? वे मूर्तियों तथा शैतान पर ईमान (विश्वास) रखते हैं और काफ़िरों[41] के बारे में कहते हैं कि ये ईमान वालों से अधिक सीधी डगर पर हैं।

सूरा अन-निसा आयत 51 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

41. अर्थात मक्का के मूर्ति के पुजारियों के बारे में। मदीना के यहूदियों की यह दशा थी कि वह सदैव मूर्ति पूजा के विरोधी रहे और उसका अपमान करते रहे। परंतु अब मुसलमानों के विरोध में उनकी प्रशंसा करते और कहते कि मूर्ति पूजकों का आचरण और स्वभाव अधिक अच्छा है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Nisa verse 51 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Nisa ayat 49 which provides the complete commentary from verse 49 through 52.

Sign up for Newsletter