कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَٱلضُّحَىٰ

कस़म है धूप चढ़ने के समय की!

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 1

وَٱلَّيۡلِ إِذَا سَجَىٰ

और क़सम है रात की, जब वह छा जाए।

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 2

مَا وَدَّعَكَ رَبُّكَ وَمَا قَلَىٰ

(ऐ नबी!) तेरे पालनहार ने तुझे न तो छोड़ा और न नाराज़ हुआ।

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 3

وَلَلۡأٓخِرَةُ خَيۡرٞ لَّكَ مِنَ ٱلۡأُولَىٰ

और निश्चित रूप से आख़िरत आपके लिए दुनिया से बेहतर है।

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 4

وَلَسَوۡفَ يُعۡطِيكَ رَبُّكَ فَتَرۡضَىٰٓ

और निश्चय तेरा पालनहार तुझे प्रदान करेगा, तो तू प्रसन्न हो जाएगा।

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 5

أَلَمۡ يَجِدۡكَ يَتِيمٗا فَـَٔاوَىٰ

क्या उसने आपको अनाथ पाकर शरण नहीं दी?

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 6

وَوَجَدَكَ ضَآلّٗا فَهَدَىٰ

और आपको मार्ग से अनभिज्ञ पाया, तो सीधा मार्ग दिखाया।

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 7

وَوَجَدَكَ عَآئِلٗا فَأَغۡنَىٰ

और उसने आपको निर्धन पाया, तो संपन्न कर दिया।

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 8

فَأَمَّا ٱلۡيَتِيمَ فَلَا تَقۡهَرۡ

अतः आप अनाथ पर कठोरता न दिखाएँ।[1]

तफ़्सीर:

1. (1-9) इन आयतों में अल्लाह ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से फरमाया है कि तुम्हें यह चिंता कैसे हो गई है कि हम अप्रसन्न हो गए? हमने तो तुम्हारे जन्म के दिन से निरंतर तुमपर उपकार किए हैं। तुम अनाथ थे, तो तुम्हारे पालन और रक्षा की व्यवस्था की। राह से अंजान थे, तो राह दिखाई। निर्धन थे, तो धनी बना दिया। ये बातें बता रही हैं कि तुम आरंभ ही से हमारे प्रियवर हो और तुमपर हमारा उपकार निरंतर रहा है।

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 9

وَأَمَّا ٱلسَّآئِلَ فَلَا تَنۡهَرۡ

और माँगने वाले को न झिड़कें।

सूरह का नाम : Ad-Dhuha   सूरह नंबर : 93   आयत नंबर: 10

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