कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَٱلشَّمۡسِ وَضُحَىٰهَا

सूरज की क़सम! तथा उसके ऊपर चढ़ने के समय की क़सम!

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 1

وَٱلۡقَمَرِ إِذَا تَلَىٰهَا

तथा चाँद की (क़सम), जब वह सूरज के पीछे आए।

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 2

وَٱلنَّهَارِ إِذَا جَلَّىٰهَا

और दिन की (क़सम), जब वह उस (सूरज) को प्रकट कर दे!

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 3

وَٱلَّيۡلِ إِذَا يَغۡشَىٰهَا

और रात की (क़सम), जब वह उस (सूरज) को ढाँप ले।

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 4

وَٱلسَّمَآءِ وَمَا بَنَىٰهَا

और आकाश की तथा उसके निर्माण की (क़सम)।

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 5

وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا طَحَىٰهَا

और धरती की तथा उसे बिछाने की (क़सम!)[1]

तफ़्सीर:

1. (1-6) इन आयतों का भावार्थ यह है कि जिस प्रकार सूर्य के विपरीत चाँद, तथा दिन के विपरीत रात है, इसी प्रकार पुण्य और पाप तथा इस संसार का प्रति एक दूसरा संसार परलोक भी है। और इन्हीं स्वभाविक लक्ष्यों से परलोक का विश्वास होता है।

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 6

وَنَفۡسٖ وَمَا سَوَّىٰهَا

और आत्मा की तथा उसके ठीक-ठाक बनाने की (क़सम)।

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 7

فَأَلۡهَمَهَا فُجُورَهَا وَتَقۡوَىٰهَا

फिर उसके दिल में उसकी बुराई और उसकी परहेज़गारी (की समझ) डाल दी।[2]

तफ़्सीर:

2. (7-8) इन आयतों में कहा गया है कि अल्लाह ने इनसान को शारीरिक और बौद्धिक शक्तियाँ देकर बस नहीं किया, बल्कि उसने पाप और पुण्य का स्वभाविक ज्ञान देकर नबियों को भी भेजा। और वह़्य (प्रकाशना) द्वारा पाप और पुण्य के सभी रूप समझा दिए। जिसकी अंतिम कड़ी क़ुरआन, और अंतिम नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं।

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 8

قَدۡ أَفۡلَحَ مَن زَكَّىٰهَا

निश्चय वह सफल हो गया, जिसने उसे पवित्र कर लिया।

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 9

وَقَدۡ خَابَ مَن دَسَّىٰهَا

तथा निश्चय वह विफल हो गया, जिसने उसे (पापों में) दबा दिया।[3]

तफ़्सीर:

3. (9-10) इन दोनों आयतों में यह बताया जा रहा है कि अब भविष्य की सफलता और विफलता इस बात पर निर्भर है कि कौन अपनी स्वभाविक योग्यता का प्रयोग किसके लिए कितना करता है। और इस प्रकाशना : क़ुरआन के आदेशों को कितना मानता और पालन करता है।

सूरह का नाम : Ash-Shams   सूरह नंबर : 91   आयत नंबर: 10

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