कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

ٱلرَّحۡمَٰنُ

अत्यंत दयावान् ने।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 1

عَلَّمَ ٱلۡقُرۡءَانَ

यह क़ुरआन सिखाया।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 2

خَلَقَ ٱلۡإِنسَٰنَ

उसने मनुष्य को पैदा किया।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 3

عَلَّمَهُ ٱلۡبَيَانَ

उसे बात करना सिखाया।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 4

ٱلشَّمۡسُ وَٱلۡقَمَرُ بِحُسۡبَانٖ

सूर्य तथा चंद्रमा एक हिसाब से चल रहे हैं।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 5

وَٱلنَّجۡمُ وَٱلشَّجَرُ يَسۡجُدَانِ

तथा बिना तने के पौधे और पेड़ सजदा करते हैं।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 6

وَٱلسَّمَآءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ ٱلۡمِيزَانَ

और उसने आकाश को ऊँचा किया और न्याय का संतुलन स्थापित किया।[1]

तफ़्सीर:

1. (देखिए : सूरतुल-ह़दीद, आयत : 25) अर्थ यह है कि धरती में न्याय का नियम बनाया और उसके पालन का आदेश दिया।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 7

أَلَّا تَطۡغَوۡاْ فِي ٱلۡمِيزَانِ

ताकि तुम माप-तौल में अति न करो।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 8

وَأَقِيمُواْ ٱلۡوَزۡنَ بِٱلۡقِسۡطِ وَلَا تُخۡسِرُواْ ٱلۡمِيزَانَ

तथा न्याय के साथ तौल को सीधा रखो और माप-तौल में कमी न करो।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 9

وَٱلۡأَرۡضَ وَضَعَهَا لِلۡأَنَامِ

और उसने धरती को सृष्टि के लिए (रहने योग्य) बनाया।

सूरह का नाम : Ar-Rahman   सूरह नंबर : 55   आयत नंबर: 10

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