कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

سَأَلَ سَآئِلُۢ بِعَذَابٖ وَاقِعٖ

एक माँगने वाले[1] ने वह यातना माँगी, जो घटित होने वाली है।

तफ़्सीर:

1. कहा जाता है नज़्र पुत्र ह़ारिस अथवा अबू जह्ल ने यह माँग की थी कि "ऐ अल्लाह! यदि यह सत्य है तेरी ओर से तो तू हमपर आकाश से पत्थर बरसा दे।" (देखिए : सूरतुल-अन्फाल, आयतः 32)

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 1

لِّلۡكَٰفِرِينَ لَيۡسَ لَهُۥ دَافِعٞ

काफ़िरों पर। उसे कोई टालने वाला नहीं।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 2

مِّنَ ٱللَّهِ ذِي ٱلۡمَعَارِجِ

ऊँचाइयों वाले अल्लाह की ओर से।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 3

تَعۡرُجُ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ وَٱلرُّوحُ إِلَيۡهِ فِي يَوۡمٖ كَانَ مِقۡدَارُهُۥ خَمۡسِينَ أَلۡفَ سَنَةٖ

फ़रिश्ते और रूह[2] उसकी ओर चढ़ेंगे, एक ऐसे दिन में जिसकी मात्रा पचास हज़ार वर्ष है।

तफ़्सीर:

2. रूह़ से अभिप्राय फ़रिश्ता जिबरील (अलैहिस्सलाम) हैं।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 4

فَٱصۡبِرۡ صَبۡرٗا جَمِيلًا

अतः (ऐ नबी!) आप अच्छे धैर्य से काम लें।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 5

إِنَّهُمۡ يَرَوۡنَهُۥ بَعِيدٗا

निःसंदेह वे उसे दूर समझ रहे हैं।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 6

وَنَرَىٰهُ قَرِيبٗا

और हम उसे निकट देख रहे हैं।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 7

يَوۡمَ تَكُونُ ٱلسَّمَآءُ كَٱلۡمُهۡلِ

जिस दिन आकाश पिघली हुई धातु के समान हो जाएगा।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 8

وَتَكُونُ ٱلۡجِبَالُ كَٱلۡعِهۡنِ

और पर्वत धुने हुए ऊन के समान हो जाएँगे।[3]

तफ़्सीर:

3. देखिए : सूरतुल-क़ारिआ।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 9

وَلَا يَسۡـَٔلُ حَمِيمٌ حَمِيمٗا

और कोई मित्र किसी मित्र को नहीं पूछेगा।

सूरह का नाम : Al-Maaarij   सूरह नंबर : 70   आयत नंबर: 10

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