कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

طه

ता, हा।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 1

مَآ أَنزَلۡنَا عَلَيۡكَ ٱلۡقُرۡءَانَ لِتَشۡقَىٰٓ

हमने आपपर यह क़ुरआन इसलिए नहीं अवतरित किया कि आप कष्ट में पड़ जाएँ।[1]

तफ़्सीर:

1. अर्थात विरोधियों के ईमान न लाने पर।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 2

إِلَّا تَذۡكِرَةٗ لِّمَن يَخۡشَىٰ

परंतु उसकी याददहानी (नसीहत) के लिए, जो डरता[2] है।

तफ़्सीर:

2. अर्थात ईमान न लाने तथा कुकर्मों के दुष्परिणाम से।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 3

تَنزِيلٗا مِّمَّنۡ خَلَقَ ٱلۡأَرۡضَ وَٱلسَّمَٰوَٰتِ ٱلۡعُلَى

उसकी ओर से उतारा हुआ है, जिसने पृथ्वी और ऊँचे आकाशों को बनाया।।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 4

ٱلرَّحۡمَٰنُ عَلَى ٱلۡعَرۡشِ ٱسۡتَوَىٰ

वह रहमान (अत्यंत दयावान् अल्लाह) अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 5

لَهُۥ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا وَمَا تَحۡتَ ٱلثَّرَىٰ

उसी का[3] है, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है और जो उन दोनों के बीच है तथा जो गीली मिट्टी के नीचे है।

तफ़्सीर:

3. अर्थात उसी के स्वामित्व में तथा उसी के अधीन है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 6

وَإِن تَجۡهَرۡ بِٱلۡقَوۡلِ فَإِنَّهُۥ يَعۡلَمُ ٱلسِّرَّ وَأَخۡفَى

यदि तुम उच्च स्वर में बात करो, तो वह गुप्त और उससे भी अधिक गुप्त बात को जानता है।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 7

ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۖ لَهُ ٱلۡأَسۡمَآءُ ٱلۡحُسۡنَىٰ

अल्लाह वह है जिसके सिवा कोई पूज्य नहीं, सबसे अच्छे नाम उसी के हैं।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 8

وَهَلۡ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ

और क्या (ऐ नबी!) आपके पास मूसा की ख़बर पहुँची?

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 9

إِذۡ رَءَا نَارٗا فَقَالَ لِأَهۡلِهِ ٱمۡكُثُوٓاْ إِنِّيٓ ءَانَسۡتُ نَارٗا لَّعَلِّيٓ ءَاتِيكُم مِّنۡهَا بِقَبَسٍ أَوۡ أَجِدُ عَلَى ٱلنَّارِ هُدٗى

जब उसने एक आग देखी, तो अपने घरवालों से कहा : ठहरो, निःसंदेह मैंने एक आग देखी है, शायद मैं तुम्हारे पास उससे कोई अंगार लाे आऊँ, अथवा उस आग पर कोई मार्गदर्शन पा लूँ।[4]

तफ़्सीर:

4. यह उस समय की बात है, जब मूसा अलैहिस्सलाम अपने परिवार के साथ मदयन नगर से मिस्र आ रहे थे और मार्ग भूल गए थे।

सूरह का नाम : Ta-Ha   सूरह नंबर : 20   आयत नंबर: 10

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