कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

أَلَمۡ تَرَ كَيۡفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِأَصۡحَٰبِ ٱلۡفِيلِ

क्या तुमने नहीं देखा कि तुम्हारे पालनहार ने हाथी वालों के साथ किस तरह किया?

सूरह का नाम : Al-Feel   सूरह नंबर : 105   आयत नंबर: 1

أَلَمۡ يَجۡعَلۡ كَيۡدَهُمۡ فِي تَضۡلِيلٖ

क्या उसने उनकी चाल को विफल नहीं कर दिया?

सूरह का नाम : Al-Feel   सूरह नंबर : 105   आयत नंबर: 2

وَأَرۡسَلَ عَلَيۡهِمۡ طَيۡرًا أَبَابِيلَ

और उनपर झुंड के झुंड पक्षी भेजे।

सूरह का नाम : Al-Feel   सूरह नंबर : 105   आयत नंबर: 3

تَرۡمِيهِم بِحِجَارَةٖ مِّن سِجِّيلٖ

जो उनपर पकी हुई मिट्टी (खंगर) की कंकड़ियाँ फेंक रहे थे।

सूरह का नाम : Al-Feel   सूरह नंबर : 105   आयत नंबर: 4

فَجَعَلَهُمۡ كَعَصۡفٖ مَّأۡكُولِۭ

तो उसने उन्हें खाए हुए भूसे की तरह कर दिया।[1]

तफ़्सीर:

1. (1-5) इस सूरत का लक्ष्य यह बताना है कि काबा को आक्रमण से बचाने के लिए तुम्हारे देवी-देवता कुछ काम न आए। क़ुरैश के प्रमुखों ने अल्लाह ही से दुआ की थी और उनपर इसका इतना प्रभाव पड़ा था कि कई वर्षों तक साधारण नागरिकों तक ने भी अल्लाह के सिवा किसी की पूजा नहीं की थी। यह बात नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पैदाइश से कुछ पहले की थी और वहाँ बहुत सारे लोग अभी जीवित थे जिन्होंने यह चित्र अपने नेत्रों से देखा था। अतः उनसे यह कहा जा रहा है कि मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो आमंत्रण दे रहे हैं वह यही तो है कि अल्लाह के सिवाय किसी की पूजा न की जाए, और इसको दबाने का परिणाम वही हो सकता है जो हाथी वालों का हुआ। (इब्ने कसीर)

सूरह का नाम : Al-Feel   सूरह नंबर : 105   आयत नंबर: 5

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