कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

وَٱلصَّـٰٓفَّـٰتِ صَفّٗا

क़सम है पंक्तिबद्ध (फ़रिश्तों) की!

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 1

فَٱلزَّـٰجِرَٰتِ زَجۡرٗا

फिर झिड़क कर डाँटने वालों की!

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 2

فَٱلتَّـٰلِيَٰتِ ذِكۡرًا

फिर (अल्लाह के) ज़िक्र (वाणी) की तिलावत करने वालों की।[1]

तफ़्सीर:

1. ये तीनों गुण फ़रिश्तों के हैं जो आकाशों में अल्लाह की इबादत के लिए पंक्तिबद्ध रहते तथा बादलों को हाँकते और अल्लाह के स्मरण जैसे क़ुरआन तथा नमाज़ पढ़ने और उसकी पवित्रता का गान करने इत्यादि में लगे रहते हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 3

إِنَّ إِلَٰهَكُمۡ لَوَٰحِدٞ

निःसंदेह तुम्हारा पूज्य निश्चय एक ही है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 4

رَّبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا وَرَبُّ ٱلۡمَشَٰرِقِ

जो आकाशों और धरती का तथा उन दोनों के बीच की समस्त चीज़ों का स्वामी है और सूर्य के उदय होने के सभी स्थानों का मालिक है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 5

إِنَّا زَيَّنَّا ٱلسَّمَآءَ ٱلدُّنۡيَا بِزِينَةٍ ٱلۡكَوَاكِبِ

निःसंदेह हमने संसार के आकाश को एक सुंदर शृंगार के साथ सुशोभित किया है, जो सितारे हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 6

وَحِفۡظٗا مِّن كُلِّ شَيۡطَٰنٖ مَّارِدٖ

और प्रत्येक सरकश शैतान से सुरक्षित करने के लिए।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 7

لَّا يَسَّمَّعُونَ إِلَى ٱلۡمَلَإِ ٱلۡأَعۡلَىٰ وَيُقۡذَفُونَ مِن كُلِّ جَانِبٖ

वे सर्वोच्च सभा (मला-ए-आ'ला) के फ़रिश्तों की बात नहीं सुन सकते, तथा वे हर ओर से (उल्काओं से) मारे जाते हैं।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 8

دُحُورٗاۖ وَلَهُمۡ عَذَابٞ وَاصِبٌ

भगाने के लिए। तथा उनके लिए स्थायी यातना है।

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 9

إِلَّا مَنۡ خَطِفَ ٱلۡخَطۡفَةَ فَأَتۡبَعَهُۥ شِهَابٞ ثَاقِبٞ

परंतु जो कोई (शैतान फरिश्तों की किसी बात को) अचानक उचक ले जाए, तो एक दहकता हुआ अंगारा (उल्का)[2] उसका पीछा करता है।

तफ़्सीर:

2. फिर यदि उससे बचा रह जाए तो आकाश की बात अपने नीचे के शैतानों तक पहुँचाता है और वे उसे काहिनों तथा ज्योतिषियों को बताते हैं। फिर वे उसमें सौ झूठ मिलाकर लोगों को बताते हैं। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6213, सह़ीह़ मुस्लिम : 2228)

सूरह का नाम : As-Saffat   सूरह नंबर : 37   आयत नंबर: 10

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