कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

إِذَا ٱلسَّمَآءُ ٱنفَطَرَتۡ

जब आकाश फट जाएगा।

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 1

وَإِذَا ٱلۡكَوَاكِبُ ٱنتَثَرَتۡ

तथा जब तारे झड़ जाएँगे।

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 2

وَإِذَا ٱلۡبِحَارُ فُجِّرَتۡ

और जब समुद्र बह निकलेंगे।

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 3

وَإِذَا ٱلۡقُبُورُ بُعۡثِرَتۡ

और जब क़बरें उलट दी जाएँगी।

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 4

عَلِمَتۡ نَفۡسٞ مَّا قَدَّمَتۡ وَأَخَّرَتۡ

तब प्रत्येक प्राणी जान लेगा, जो उसने आगे भेजा और जो पीछे छोड़ा।[1]

तफ़्सीर:

1. (1-5) इनमें प्रलय के दिन आकाश ग्रहों तथा धरती और समाधियों पर जो दशा गुज़रेगी, उसका चित्रण किया गया है। तथा चेतावनी दी गई है कि हर एक की करतूत उसके सामने आ जाएगी।

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 5

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡإِنسَٰنُ مَا غَرَّكَ بِرَبِّكَ ٱلۡكَرِيمِ

ऐ इनसान! तुझे किस चीज़ ने तेरे उदार पालनहार से बहका दिया?

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 6

ٱلَّذِي خَلَقَكَ فَسَوَّىٰكَ فَعَدَلَكَ

जिसने तेरी रचना की, फिर तुझे ठीक ठाक किया, फिर तुझे संतुलित बनाया।

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 7

فِيٓ أَيِّ صُورَةٖ مَّا شَآءَ رَكَّبَكَ

जिस रूप में भी उसने चाहा, तुझे बना दिया।[2]

तफ़्सीर:

2. (6-8) भावार्थ यह है कि इनसान की पैदाइश में अल्लाह की शक्ति, दक्षता तथा दया के जो लक्षण हैं, उनके दर्पण में यह बताया गया है कि प्रलय को असंभव न समझो। यह सब व्यवस्था इस बात का प्रमाण है कि तुम्हारा अस्तित्व व्यर्थ नहीं है कि मनमानी करो। (देखिए : तर्जुमानुल क़ुरआन, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद) इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि जब तुम्हारा अस्तित्व और रूप-रेखा कुछ भी तुम्हारे बस में नहीं, तो फिर जिस शक्ति ने सब किया उसी की शक्ति में प्रलय तथा प्रतिकार के होने को क्यों नहीं मानते?

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 8

كَلَّا بَلۡ تُكَذِّبُونَ بِٱلدِّينِ

हरगिज़ नहीं, बल्कि तुम बदले (के दिन) को झुठलाते हो।

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 9

وَإِنَّ عَلَيۡكُمۡ لَحَٰفِظِينَ

हालाँकि निःसंदेह तुमपर निगेहबान नियुक्त हैं।

सूरह का नाम : Al-Infitar   सूरह नंबर : 82   आयत नंबर: 10

नूजलेटर के लिए साइन अप करें