कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

يسٓ

या, सीन।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 1

وَٱلۡقُرۡءَانِ ٱلۡحَكِيمِ

क़सम है हिकमत वाले क़ुरआन की!

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 2

إِنَّكَ لَمِنَ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

निःसंदेह आप रसूलों में से हैं।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 3

عَلَىٰ صِرَٰطٖ مُّسۡتَقِيمٖ

सीधे रास्ते पर हैं।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 4

تَنزِيلَ ٱلۡعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ

(यह) प्रभुत्वशाली, अति दयावान् (अल्लाह) का उतारा हुआ है।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 5

لِتُنذِرَ قَوۡمٗا مَّآ أُنذِرَ ءَابَآؤُهُمۡ فَهُمۡ غَٰفِلُونَ

ताकि आप उस जाति[1] को डराएँ, जिनके बााप-दादा नहीं डराए गए थे। इसलिए वे ग़ाफ़िल हैं।

तफ़्सीर:

1. अर्थात् मक्का वासियों को, जिनके पास इसमाईल (अलैहिस्सलाम) के पश्चात् कोई नबी नहीं आया।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 6

لَقَدۡ حَقَّ ٱلۡقَوۡلُ عَلَىٰٓ أَكۡثَرِهِمۡ فَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ

उनमें से अधिकतर लोगों पर बात[2] सिद्ध हो चुकी है। अतः वे ईमान नहीं लाएँगे।

तफ़्सीर:

2. अर्थात अल्लाह की यह बात कि ''मैं जिन्नों तथा मनुष्यों से नरक को भर दूँगा।'' (देखिए : सूरतुस सजदा, आयत :13)

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 7

إِنَّا جَعَلۡنَا فِيٓ أَعۡنَٰقِهِمۡ أَغۡلَٰلٗا فَهِيَ إِلَى ٱلۡأَذۡقَانِ فَهُم مُّقۡمَحُونَ

तथा हमने उनकी गर्दनों में तौक़ डाल दिए हैं, जो ठुड्डियों से लगे हैं।[3] इसलिए वे सिर ऊपर किए हुए हैं।

तफ़्सीर:

3. इससे अभिप्राय उनका कुफ़्र पर दुराग्रह तथा ईमान न लाना है।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 8

وَجَعَلۡنَا مِنۢ بَيۡنِ أَيۡدِيهِمۡ سَدّٗا وَمِنۡ خَلۡفِهِمۡ سَدّٗا فَأَغۡشَيۡنَٰهُمۡ فَهُمۡ لَا يُبۡصِرُونَ

तथा हमने उनके आगे एक आड़ बना दी है और उनके पीछे एक आड़। फिर हमने उनको ढाँक दिया है। अतः वे[4] देख ही नहीं पाते।

तफ़्सीर:

4. अर्थात सत्य की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं, और न उससे लाभान्वित हो रहे हैं।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 9

وَسَوَآءٌ عَلَيۡهِمۡ ءَأَنذَرۡتَهُمۡ أَمۡ لَمۡ تُنذِرۡهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ

और उनके लिए बराबर है, चाहे आप उन्हें डराएँ या न डराएँ, वे ईमान नहीं लाएँगे।

सूरह का नाम : Ya-Sin   सूरह नंबर : 36   आयत नंबर: 10

नूजलेटर के लिए साइन अप करें