कुरान उद्धरण : 
بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡمُزَّمِّلُ

ऐ कपड़े में लिपटने वाले!

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 1

قُمِ ٱلَّيۡلَ إِلَّا قَلِيلٗا

रात्रि के समय (नमाज़ में) खड़े रहें, सिवाय उसके थोड़े भाग के।[1]

तफ़्सीर:

1. ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) रात में इतनी नमाज़ पढ़ते थे कि आपके पैर सूज जाते थे। आपसे कहा गया : ऐसा क्यों करते हैं? जबकि अल्लाह ने आपके पहले और पिछले गुनाह क्षमा कर दिए हैं? आपने कहा : क्या मैं उसका कृतज्ञ बंदा न बनूँ? (बुख़ारी : 1130, मुस्लिम : 2819)

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 2

نِّصۡفَهُۥٓ أَوِ ٱنقُصۡ مِنۡهُ قَلِيلًا

आधी रात (नमाज़ पढ़ें) अथवा उससे थोड़ा-सा कम कर लें।

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 3

أَوۡ زِدۡ عَلَيۡهِ وَرَتِّلِ ٱلۡقُرۡءَانَ تَرۡتِيلًا

या उससे कुछ अधिक कर लें। और क़ुरआन को ठहर-ठहर कर पढ़ें।

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 4

إِنَّا سَنُلۡقِي عَلَيۡكَ قَوۡلٗا ثَقِيلًا

निश्चय हम आपपर (ऐ नबी!) एक भारी वाणी (क़ुरआन) उतारेंगे।

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 5

إِنَّ نَاشِئَةَ ٱلَّيۡلِ هِيَ أَشَدُّ وَطۡـٔٗا وَأَقۡوَمُ قِيلًا

निःसंदेह रात की इबादत हृदय में अधिक प्रभावी होती है और बात के लिए अधिक उपयुक्त होती है।

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 6

إِنَّ لَكَ فِي ٱلنَّهَارِ سَبۡحٗا طَوِيلٗا

निःसंदेह आपके लिए दिन में बहुत-से कार्य हैं।

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 7

وَٱذۡكُرِ ٱسۡمَ رَبِّكَ وَتَبَتَّلۡ إِلَيۡهِ تَبۡتِيلٗا

और अपने पालनहार के नाम का स्मरण करें और सबसे अलग होकर उसी की ओर ध्यान आकर्षित कर लें।

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 8

رَّبُّ ٱلۡمَشۡرِقِ وَٱلۡمَغۡرِبِ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ فَٱتَّخِذۡهُ وَكِيلٗا

वह पूर्व तथा पश्चिम का पालनहार है। उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। अतः तुम उसी को अपना कार्यसाधक बना लो।

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 9

وَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَٱهۡجُرۡهُمۡ هَجۡرٗا جَمِيلٗا

और जो कुछ वे कह रहे हैं[2], उसपर धैर्य से काम लें और उन्हें अच्छे ढंग से छोड़ दें।

तफ़्सीर:

2. अर्थात आपके तथा सत्धर्म के विरुद्ध।

सूरह का नाम : Al-Muzzammil   सूरह नंबर : 73   आयत नंबर: 10

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