Quran Quote  : 

कुरान मजीद-2:158 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

۞إِنَّ ٱلصَّفَا وَٱلۡمَرۡوَةَ مِن شَعَآئِرِ ٱللَّهِۖ فَمَنۡ حَجَّ ٱلۡبَيۡتَ أَوِ ٱعۡتَمَرَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيۡهِ أَن يَطَّوَّفَ بِهِمَاۚ وَمَن تَطَوَّعَ خَيۡرٗا فَإِنَّ ٱللَّهَ شَاكِرٌ عَلِيمٌ

लिप्यंतरण:( Innas Safaa wal-Marwata min sha'aaa'iril laahi faman hajjal Baita awi'tamara falaa junaaha 'alaihi ai yattawwafa bihimaa; wa man tatawwa'a khairan fa innal laaha Shaakirun'Aleem )

158. "बेशक सफ़ा और मरवा अल्लाह की निशानियों में से हैं [331]। तो जो कोई भी इस पाक घर का हज्ज या उमरा करे, तो उस पर कोई गुनाह नहीं कि वह इन दोनों के दरमियान सई करे [332][333]। और जो कोई खुशी से कोई नेकी करे, तो बेशक अल्लाह क़द्र करने वाला, सब कुछ जानने वाला है [334]।"

सूरा आयत 158 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

[331] "बेशक सफ़ा और मरवा अल्लाह की निशानियों में से हैं..."

  • सफ़ा और मरवा मक्का की दो छोटी पहाड़ियाँ हैं।
  • यह अल्लाह की "शा'एर" (निशानियाँ) हैं — यानी वो जगहें जो अल्लाह की याद दिलाती हैं।
  • ये मक़ाम हज़रत हाजरा (अ.स.) की उस दौड़ की याद हैं जो उन्होंने अपने बेटे इस्माईल (अ.स.) के लिए पानी की तलाश में लगाई थी।
  • अल्लाह ने उनकी यह कोशिश को इबादत का हिस्सा बना दिया।

👉 सबक़: जो काम ख़ालिस अल्लाह के लिए किया जाए, वो हमेशा के लिए बरकत और इबादत बन जाता है।

[332] "तो जो कोई भी इस पाक घर का हज्ज या उमरा करे..."

  • पाक घर से मुराद काबा शरीफ़ है — जिसे "बैतुल्लाह" भी कहते हैं।
  • हज्ज और उमरा करने वाले को इन दो पहाड़ियों के बीच सई करना होता है।
  • पहले कुछ लोग सोचते थे कि ये दौड़ना जाहिलियत का हिस्सा है, क्योंकि वहां कभी बुत रखे गए थे

👉 इस आयत ने साफ़ किया कि इसमें कोई गुनाह नहीं, बल्कि यह एक मशरू (शरई / वैध) और मुक़द्दस अमल है।

[333] "...तो उस पर कोई गुनाह नहीं कि वह इन दोनों के दरमियान सई करे..."

  • सई का मतलब है सफ़ा और मरवा के बीच सात बार चलना या दौड़ना।
  • यह हज्ज और उमरा का ज़रूरी हिस्सा है।
  • इस अमल को अपनाकर हम हज़रत हाजरा (अ.स.) की सुन्नत को याद करते हैं।

👉 इस्लाम ने यह बताने की ज़रूरत महसूस की क्योंकि मुसलमानों में कुछ को शुबहा था कि ये अमल कहीं शिर्क जैसा ना हो।

[334] "...और जो कोई खुशी से कोई नेकी करे, तो बेशक अल्लाह क़द्र करने वाला, सब कुछ जानने वाला है।"

  • यहाँ पर बात की जा रही है नफ़्ली नेकी की — यानी ऐसी भलाई जो फ़र्ज़ नहीं, मगर कोई खुद से करे।
  • जैसे:
    • नफ़्ली तवाफ़
    • ज़्यादा सदक़ा
    • दूसरों की मदद
    • नफ़्ली उमरा वग़ैरह
  • अल्लाह तआला ऐसे कामों को क़बूल करता है, उनकी क़द्र करता है, और पूरा इनाम देता है

👉 सबक़: अल्लाह हमारे हर अच्छे अमल से बाख़बर है और वो किसी भी नेक काम को ज़ाया नहीं करता।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Baqarah verse 157 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Baqarah ayat 155 which provides the complete commentary from verse 155 through 157.

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