Quran Quote  : 

कुरान मजीद-2:192 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

فَإِنِ ٱنتَهَوۡاْ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٞ رَّحِيمٞ

लिप्यंतरण:( Fa ininn-tahaw fa innal laaha Ghafoorur Raheem )

ChatGPT said:

192. और अगर वे बाज आ जाएँ [438], तो बेशक अल्लाह बड़ा बख़्शने वाला, निहायत रहम करने वाला है।

सूरा आयत 192 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

[438] अगर वे बाज आ जाएँ

जंग से रुक जाने की सूरत में रहमत:

  • इस आयत में अल्लाह तआला फ़रमा रहे हैं कि अगर दुश्मन अपनी जंग और ज़ुल्म से रुक जाएं, और अब लड़ाई नहीं करते,
    तो मुसलमानों को भी लड़ाई रोक देनी चाहिए
  • इसका मतलब ये नहीं कि माफ़ करना कमज़ोरी है, बल्कि ये इस्लामी इनसाफ़ और रहमत का हिस्सा है।
  • इस्लाम में लड़ाई का मक़सद फसाद नहीं, बल्कि ज़ुल्म को रोकना और अमन कायम करना है। जब ज़ुल्म रुक जाए — तो लड़ाई का कोई औचित्य नहीं रहता।

अल्लाह की मग़फिरत और रहमत

तौबा करने वालों के लिए दरवाज़ा खुला है:

  • अगर दुश्मन अपने गुनाहों से तौबा कर लें, और अमन चाहते हों,
    तो अल्लाह उन्हें माफ़ कर देता है, क्योंकि वो ग़फ़ूर (बख़्शने वाला) और रहीम (निहायत मेहरबान) है।
  • इसी तरह, मुसलमानों को भी चाहिए कि वो अपने दिलों में रहम रखें, और दुश्मन की सच्ची तौबा को कुबूल करें।

📚 मुख़्तसर नतीजा:

  • इस आयत से हमें ये सीख मिलती है कि इस्लाम में लड़ाई आख़िरी रास्ता है, सिर्फ तब जब ज़ुल्म हद से बढ़ जाए।
  • अगर सामने वाला बाज आ जाए, तो इस्लाम अमन, माफ़ी और तौबा को तर्जीह देता है

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Baqarah verse 191 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Baqarah ayat 190 which provides the complete commentary from verse 190 through 193.

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