लिप्यंतरण:( Qaaloo innaaa ilaa Rabbinaa munqaliboon )
उन्होंने कहा: निश्चय ही हम अपने रब की ओर लौटने वाले हैं [259]।
जादूगरों का यह जवाब बताता है कि सच्चा ईमान इंसान के दिल से हर डर मिटा देता है, सिवाय अल्लाह के डर के। फ़िरऔन की हाथ-पाँव काटने और सूली देने की धमकियों के बावजूद उन्होंने सुकून से कहा कि वे अपने रब की ओर लौटेंगे। इससे मालूम होता है कि नबी की सोहबत इंसान को फ़ौरन रूहानी बुलंदी पर पहुँचा देती है। उसी दिन जब उन्होंने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पर ईमान लाया, उनके दिल में ऐसा यक़ीन और सब्र पैदा हुआ कि मौत और सूली भी उन्हें डिगा न सकी। यही वलीयत की पहचान है।
The tafsir of Surah Al-A’raf verse 125 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 123 which provides the complete commentary from verse 123 through 126.

सूरा आयत 125 तफ़सीर (टिप्पणी)