लिप्यंतरण:( Innal lazeena tad'oona min doonil laahi 'ibaadun amsaalukum fad'oohum fal yastajeeboo lakum in kuntum saadiqeen )
यह जिनको तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वे भी तुम्हारी ही तरह बंदे हैं [447]। अतः उन्हें पुकारो और देखो, यदि तुम सच्चे हो तो वे तुम्हें जवाब दें [448]।
यह आयत बताती है कि जिनकी पूजा अल्लाह के सिवा की जाती है, वे भी मख़लूक़ हैं और किसी तरह से इंसानों से बेहतर नहीं हैं। चाहे वे सितारे, चाँद, पत्थर या मूर्तियाँ हों, वे सब बेबस और अल्लाह के बनाए हुए हैं।
कहा गया कि उन्हें पुकार कर देखो, अगर उनमें कोई इलाही क़ुदरत होती तो वे तुम्हें जवाब देते या तुम्हारी मदद करते। लेकिन चूँकि वे ऐसा नहीं कर सकते, यह साबित करता है कि उनकी इबादत सरासर गुमराही है।
The tafsir of Surah Al-A’raf verse 194 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 191 which provides the complete commentary from verse 191 through 198.

सूरा आयत 194 तफ़सीर (टिप्पणी)