Quran Quote  : 

कुरान मजीद-7:151 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

قَالَ رَبِّ ٱغۡفِرۡ لِي وَلِأَخِي وَأَدۡخِلۡنَا فِي رَحۡمَتِكَۖ وَأَنتَ أَرۡحَمُ ٱلرَّـٰحِمِينَ

लिप्यंतरण:( Qaala Rabbighfirlee wa li akhee wa adkhilnaa fee rahmatika wa Anta arhamur raahimeen )

उन्होंने अर्ज़ किया:
"ऐ मेरे रब! मुझे [332] और मेरे भाई को माफ़ फ़रमा और हमें अपनी रहमत में दाख़िल कर, और तू रहमत करने वालों में सबसे बढ़कर रहमत करने वाला है [333]।"

सूरा आयत 151 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-आ‘राफ़ – आयत 151 की तफ़्सीर

✅ [332] उम्मत की मग़फ़िरत की दुआ

हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) ने अपने लिए और अपने भाई हारून (अलैहिस्सलाम) के लिए मग़फ़िरत की दुआ की, हालाँकि अंबिया अलैहिमुस्सलाम गुनाह से महफ़ूज़ होते हैं। यह दुआ उम्मत को सिखाने के लिए थी कि हमेशा दूसरों की भी मग़फ़िरत की दुआ करनी चाहिए।

✅ [333] रहमत रिश्तेदारी से बढ़कर

इस दुआ से मालूम होता है कि अल्लाह की रहमत माँ-बाप, भाई या किसी भी रिश्तेदार की रहमत से ज़्यादा है। मूसा (अलैहिस्सलाम) ने यह दुआ इसलिए भी की ताकि क़ौम में यह ग़लतफ़हमी न हो कि उनके और हारून (अलैहिस्सलाम) के बीच कोई नाराज़गी बाक़ी है। यह दुआ हारून (अलैहिस्सलाम) के दिल को भी तसल्ली देने और भाइयों के बीच मुकम्मल इत्तिहाद और मोहब्बत को दिखाने के लिए थी।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-A’raf verse 151 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 150 which provides the complete commentary from verse 150 through 151.

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