Quran Quote  : 

कुरान मजीद-7:135 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

فَلَمَّا كَشَفۡنَا عَنۡهُمُ ٱلرِّجۡزَ إِلَىٰٓ أَجَلٍ هُم بَٰلِغُوهُ إِذَا هُمۡ يَنكُثُونَ

लिप्यंतरण:( Falammaa kashafnaa 'anhumur rijza ilaaa ajalin hum baalighoohu izaa hum yankusoon )

फिर जब हमने उनसे अज़ाब हटा दिया [284] एक मुहल्लत (मुद्दत) तक जिसके पूरा होने तक वे पहुँचना ही थे [285], तो उन्होंने अपना वादा तोड़ डाला।

सूरा आयत 135 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-आ'राफ़ – आयत 135 की तफ़्सीर

✅ [284] नेक बन्दों की दुआ से राहत

  • फिरऔन की क़ौम से अज़ाब हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) की दुआ के सबब हटा दिया गया।
  • इससे यह सबक़ मिलता है कि काफ़िर तक नेक बन्दों की दुआ से राहत पा सकते हैं।
  • जब ऐसे गुमराह लोग भी पैग़म्बर की दुआ से फ़ायदा पा सकते हैं, तो गुनहगार मगर मोमिन मुसलमान तो और ज़्यादा रहमत और बरकत की उम्मीद रख सकते हैं।

✅ [285] मुहल्लत असली माफी नहीं

  • अज़ाब का हटना सिर्फ़ एक मुहल्लत (वक़्ती राहत) था, असली माफी नहीं।
  • अल्लाह तआला पहले से जानता था कि वे अपने वादे पर क़ायम नहीं रहेंगे और कुफ़्र ही पर डटे रहेंगे।
  • आख़िरकार उनकी तबाही का वक़्त आया और वे समंदर में ग़र्क़ कर दिए गए।
  • यह इबरत है कि वक़्ती राहत को अल्लाह की रज़ामंदी न समझा जाए।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-A’raf verse 135 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 132 which provides the complete commentary from verse 132 through 135.

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