Quran Quote  : 

कुरान मजीद-7:131 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

فَإِذَا جَآءَتۡهُمُ ٱلۡحَسَنَةُ قَالُواْ لَنَا هَٰذِهِۦۖ وَإِن تُصِبۡهُمۡ سَيِّئَةٞ يَطَّيَّرُواْ بِمُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓۗ أَلَآ إِنَّمَا طَـٰٓئِرُهُمۡ عِندَ ٱللَّهِ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَعۡلَمُونَ

लिप्यंतरण:( Fa izaa jaaa'at humul hasanatu qaaloo lanaa haazihee wa in tusibhum saiyi'atuny yattaiyaroo bi Moosaa wa mam ma'ah; alaaa innamaa taaa'iruhum 'indal laahi wa laakinna aksarahum laa ya'lamoon )

लेकिन जब उनके पास कोई भलाई आती तो कहते: "यह हमारी मेहनत की वजह से है।" और जब उन पर कोई बुराई आती तो उसे मनहूसियत [273] ठहराते मूसा और उनके साथियों की वजह से। हक़ीक़त यह है कि उनकी बदकिस्मती तो अल्लाह के पास है, लेकिन उनमें से ज़्यादातर नहीं जानते [274]।

सूरा आयत 131 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-आ'राफ़ – आयत 131 की तफ़्सीर

✅ [273] नेक लोगों को मनहूस ठहराना कुफ़्फ़ार की आदत

  • फिरऔन की क़ौम जब नेमतों और आसानी में होती तो उसे अपनी काबिलियत और मेहनत का नतीजा कहती।
  • लेकिन जब उन पर क़हत, तकलीफ़ या मुसीबत आती तो उसका इल्ज़ाम हज़रत मूसा और उनके मानने वालों पर लगाते, उन्हें मनहूस समझते।
  • यह जाहिलों और ग़ैर-ईमान वालों की अलामत है कि वे अल्लाह के नेक बंदों को बला और बदकिस्मती का सबब समझते हैं।
  • जबकि हक़ीक़त यह है कि अल्लाह के वली और सालेह बंदे रहमत और बरकत का ज़रिया होते हैं, न कि मनहूसियत का।

✅ [274] असली तदबीर सिर्फ़ अल्लाह के पास है

  • असल में उनकी बदकिस्मती और हलाक़त का सबब उनका कुफ़्र और गुनाह था, न कि मूसा (अलैहिस्सलाम)।
  • क़िस्मत, भलाई और बुराई — सब अल्लाह के हाथ में है।
  • अल्लाह ने फ़रमाया कि उनकी समझ कमज़ोर है, क्योंकि उनमें से थोड़े लोग ही ईमान लाए, बाक़ी बहरे और ग़ाफ़िल रहे।
  • यह दिखाता है कि हिदायत अकड़ और घमंड वालों को नसीब नहीं होती, बल्कि सच्चे दिल से तलाश करने वालों को मिलती है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-A’raf verse 131 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 130 which provides the complete commentary from verse 130 through 131.

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