Quran Quote  : 

कुरान मजीद-7:169 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

فَخَلَفَ مِنۢ بَعۡدِهِمۡ خَلۡفٞ وَرِثُواْ ٱلۡكِتَٰبَ يَأۡخُذُونَ عَرَضَ هَٰذَا ٱلۡأَدۡنَىٰ وَيَقُولُونَ سَيُغۡفَرُ لَنَا وَإِن يَأۡتِهِمۡ عَرَضٞ مِّثۡلُهُۥ يَأۡخُذُوهُۚ أَلَمۡ يُؤۡخَذۡ عَلَيۡهِم مِّيثَٰقُ ٱلۡكِتَٰبِ أَن لَّا يَقُولُواْ عَلَى ٱللَّهِ إِلَّا ٱلۡحَقَّ وَدَرَسُواْ مَا فِيهِۗ وَٱلدَّارُ ٱلۡأٓخِرَةُ خَيۡرٞ لِّلَّذِينَ يَتَّقُونَۚ أَفَلَا تَعۡقِلُونَ

लिप्यंतरण:( Fakhalafa min ba'dihim khalfunw warisul Kitaaba ya'khuzoona 'arada haazal adnaa wa yaqooloona sayughfaru lanaa wa iny ya'tihim 'aradun misluhoo ya'khuzooh; alam yu'khaz 'alaihim meesaaqul Kitaabi an laa yaqooloo 'alal laahi illal haqqa wa darasoo maa feeh; wad Daarul Aakhirtu khairul lil lazeena yattaqoon; afalaa ta'qiloon )

  1. फिर उनके बाद ऐसे नाक़िस (गुमराह) लोग [386] उनके जगहगीर बने जिन्होंने किताब (तौरात) के वारिस हुए। उन्होंने दुनिया का सामान [387] ले लिया और कहने लगे कि हमें तो (गुनाहों की) मग़फ़िरत मिल जाएगी [388]। और अगर वैसा ही और सामान उनके पास आता तो फिर उसे भी ले लेते [389]। क्या उनसे किताब का एहद-ओ-पैमान (वादा) नहीं लिया गया था कि अल्लाह पर सिवाय हक़ के कुछ न कहें [390]? और उन्होंने तो उसे पढ़ा भी था। और आखिरत का घर तो परहेज़गारों के लिए बेहतर है। क्या तुम अक़्ल से काम नहीं लेते [391]?

 

सूरा आयत 169 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-आ़राफ़ – आयत 169 की तफ़्सीर

✅ [386] किताब के वारिस लेकिन गुमराह

यहाँ उन यहूदियों का ज़िक्र है जो नबी ﷺ के दौर में तौरात के वारिस बने। मगर उन्होंने उसकी सही हिफ़ाज़त और अमल करने के बजाय उसे दुनियावी फायदे के लिए इस्तेमाल किया और सही वारिस साबित न हुए।

✅ [387] रिश्वत और दुनियापरस्ती

उन्होंने रिश्वत लेकर दीन के हुक्म बदल डाले, और गलत फ़ैसले दिए। यह ज़िल्लत की बात थी। हाँ, कुरआन की तालीम, उसकी तबलीग़ और तहरीर पर मेहनताना लेना जाइज़ है, लेकिन हक़ को बेच देना हराम है।

✅ [388] झूठी मग़फ़िरत की तसल्ली

वे बार-बार गुनाह करते और कहते कि हमें बख़्श दिया जाएगा। यह उनकी ख़तरनाक ग़लती थी। सच्चा उम्मीदवार अल्लाह से डर कर तौबा करता है, लेकिन झूठी तसल्ली इंसान को गुनाहों में और आगे धकेल देती है।

✅ [389] गुनाह और रिश्वत का चक्कर

उस जमाने में यहूदियों के क़ाज़ी रिश्वत से बचे नहीं थे। यहाँ तक कि जो दूसरों को रोकते, जब खुद ओहदे पर आते तो वही काम करने लगते। इस तरह उनका गुनाह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता गया।

✅ [390] अल्लाह पर झूठ गढ़ना

उन्होंने तौरात में पढ़ा था कि गुनाहों पर इसरार करने वाले माफ़ नहीं होंगे, लेकिन फिर भी रिश्वत और गुनाह को जारी रखकर कहते कि अल्लाह माफ़ कर देगा। यह अल्लाह पर झूठ गढ़ना था। जब आलिम गुनाह करता है तो उसका असर और भी बुरा पड़ता है क्योंकि वह लोगों को दीन के नाम पर गुमराह करता है।

✅ [391] आखिरत की नेमत और अकलमंदी

अल्लाह ने पूछा — “क्या तुम अक़्ल से काम नहीं लेते?” यानी आखिरत का घर तो मुत्तक़ियों के लिए बेहतर है। मौत, क़ब्र, क़ियामत और सिरात का पुल नेकों के लिए आसानी होगी और गुनहगारों के लिए सख़्त अजाब का सबब।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-A’raf verse 169 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 168 which provides the complete commentary from verse 168 through 170.

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