लिप्यंतरण:( Qul aghairal laahi attakhizu waliyyan faatiris samaawaati wal ardi wa Huwa yut'imu wa laa yut'am; qul inneee umirtu an akoona awwala man aslama wa laa takoonanna minal mushrikeen )
आप फ़रमा दीजिए (ऐ महबूब ﷺ):
"क्या मैं अल्लाह को छोड़ कर किसी और को अपना सहारा बनाऊं [27],
जो आसमानों और ज़मीन का पैदा करने वाला है,
जो सबको रोज़ी देता है, लेकिन खुद को रोज़ी नहीं दी जाती [28]?"
आप फ़रमा दीजिए (ऐ महबूब ﷺ): "मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं फरमांबरदारी करूं [29], और मैं कभी भी मुशरिकों में से न बनूं [30]।"
इस आयत में क़ुरैश के मुशरिकों की बात का जवाब दिया गया जो नबी ﷺ को अपने बाप-दादाओं के दीन पर लौटने की दावत देते थे।
अल्लाह ने फ़रमाया कि,
"तुम कह दो कि अल्लाह के अलावा कोई भी मेरा सहारा नहीं बन सकता।"
क्योंकि वही असल मालिक और पैदा करने वाला है।
"वह रोज़ी देता है, लेकिन उसे कोई खिलाता नहीं" —
इसमें अल्लाह की कामिल बे-नियाज़ी (पूरी तरह बेपरवाह और खुद-कफील होना) का बयान है।
सिर्फ़ वही सबका पालने वाला है,
जबकि हर चीज़ — सूरज, चाँद, सितारे, इंसान, जानवर —
उसी के हुक्म से चलता है और उसी पर निर्भर है।
"मुझे हुक्म मिला है कि मैं फरमाबरदारी करूं" —
इस इशारे में ये बात छुपी है कि
हज़रत मुहम्मद ﷺ का नूर सबसे पहले पैदा किया गया,
और सबसे पहले अल्लाह की इबादत करने वाला भी वही था।
अल्लाह ने ये नहीं कहा: "शिर्क मत करो",
बल्कि फ़रमाया: "मुशरिकों में से मत बनो" —
इसका मतलब ये कि
The tafsir of Surah Al-Anam verse 14 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 12 which provides the complete commentary from verse 12 through 16.

सूरा आयत 14 तफ़सीर (टिप्पणी)