Quran Quote  : 

कुरान मजीद-6:26 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَهُمۡ يَنۡهَوۡنَ عَنۡهُ وَيَنۡـَٔوۡنَ عَنۡهُۖ وَإِن يُهۡلِكُونَ إِلَّآ أَنفُسَهُمۡ وَمَا يَشۡعُرُونَ

लिप्यंतरण:( Wa hum yanhawna 'anhu wa yan'awna 'anhu wa iny yuhlikoona illaa anfusahum wa maa yash'uroon )

और वे (ख़ुद भी) इससे रोकते हैं और (दूसरों को भी) इससे दूर रखते हैं [51], और वे (हक़ीक़त में) किसी को नहीं, बस अपनी ही जानों को बर्बाद कर रहे हैं, मगर उन्हें इसका शऊर नहीं।

सूरा आयत 26 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-अनआम – आयत 26 की तफ़्सीर

✅ [51] दूसरों को रोकना, और खुद को नुकसान देना

ये आयत उन मुसर्रिफ़ मुषरिकों के बारे में है
जो न सिर्फ़ ख़ुद ईमान से दूर रहे, बल्कि दूसरों को भी रोकते रहे
रसूलुल्लाह ﷺ की मजलिसों में जाने से, क़ुरआन सुनने से।

हज़रत अब्दुल्लाह इब्न अब्बास (र.अ.) के मुताबिक,
इसमें अबू तालिब का भी इशारा है —
जो नबी ﷺ को क़ुरैश के सतावे से बचाते तो थे,
मगर ख़ुल्लम-ख़ुल्ला ईमान नहीं लाए।

ऐसे लोग, चाहे जान-बूझकर या बेख़बरी में,
सबसे ज़्यादा नुकसान अपनी ही जानों को पहुँचा रहे हैं,
मगर उन्हें इसका एहसास तक नहीं होता

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-Anam verse 26 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 22 which provides the complete commentary from verse 22 through 26.

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