लिप्यंतरण:( Wa huwal qaahiru fawqa 'ibaadihee wa yursilu 'alaikum hafazatan hattaaa izaa jaaa'a ahadakumul mawtu tawaffathu rusulunaa wa hum laa yufarritoon )
तो कह दीजिए: यदि वह चीज़, जिसके लिए तुम जल्दी कर रहे हो, मेरे पास होती, तो मेरे और तुम्हारे बीच फ़ैसला कर दिया जाता [118] और अल्लाह ज़ालिमों को खूब जानता है।
काफ़िर लोग अज़ाब को जल्दी लाने की जिद कर रहे थे और कहते थे कि अगर आप सच हैं तो हमें तुरंत अज़ाब ला कर दिखाइए। इस आयत में जवाब दिया गया कि अगर यह मामला नबी ﷺ के इख़्तियार में होता, तो ज़मीन ऐसे दुश्मनों से पहले ही पाक कर दी जाती और फ़ैसला फ़ौरन हो जाता। यह नबी ﷺ के उस स्वभाव को दर्शाता है—काफ़िरों पर सख़्त और ईमान वालों पर नरम (सूरा 48:29)। लेकिन चूँकि ऐसे मामलों का पूरा इख़्तियार सिर्फ़ अल्लाह के पास है, नबी ﷺ अल्लाह के हुक्म का इंतज़ार करते हैं। अल्लाह ज़ालिमों से पूरी तरह वाक़िफ़ है और उसका इंसाफ़ बिना हिकमत के कभी देर नहीं करता।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 61 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 60 which provides the complete commentary from verse 60 through 62.

सूरा आयत 61 तफ़सीर (टिप्पणी)