लिप्यंतरण:( Faaliqul isbaahi wa ja'alal laila sakananw wash shamsa walqamara husbaanaa; zaalika taqdeerul 'Azeezil 'Aleem )
वह सुबह को फाड़कर (निकालकर) लाने वाला है [206] और उसने रात को आराम के लिए बनाया, और सूरज और चाँद को हिसाब-किताब के लिए [207]। यह है पराक्रमी, सर्वज्ञ का आदेश [208]।
यह आयत उस समय की ओर इशारा करती है जब पूरब से पहला उजाला प्रकट होता है, मानो अंधकार को एक धागा चीर रहा हो। यह प्राकृतिक घटना अल्लाह की शक्ति की निशानी है। रूहानी तौर पर यह इस बात का प्रतीक है कि अल्लाह कुफ्र के अंधकार को चीरकर पैग़म्बरी की रौशनी फैलाता है और इंसानों को वह़ी के ज़रिये हिदायत देता है।
अल्लाह ने चाँद को चाँद्र मास और सूरज को सौर गणना के लिए बनाया। चाँद के ज़रिये रोज़ा और हज जैसे इस्लामी इबादतों के समय का निर्धारण होता है, जबकि सूरज से पाँचों नमाज़ों के वक़्त तय होते हैं। ये खगोलीय पिंड अल्लाह के आदेश की सटीकता और शक्ति के दर्पण हैं।
यह आयत दर्शाती है कि ब्रह्मांड का गणितीय और व्यवस्थित क्रम अल्लाह की हिकमत और क़ुदरत का सबूत है। आसमान और ज़मीन का यह तालमेल उसके सर्वज्ञान का प्रकट रूप है। गणित एक सम्मानित विज्ञान है, जो इलाही रचना की व्यवस्थित सुंदरता को उजागर करता है।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 96 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 95 which provides the complete commentary from verse 95 through 97.

सूरा आयत 96 तफ़सीर (टिप्पणी)