लिप्यंतरण:( Wa law ja'alnaahu malakal laja'alnaahu rajulanw wa lalabasnaa 'alaihim maa yalbisoon )
और अगर हम किसी फ़रिश्ते को भेजते, तो भी उसे आदमी ही बनाते [18], और वे उसी उलझन में पड़ जाते जिसमें अब पड़े हुए हैं [19]।
अगर अल्लाह किसी फ़रिश्ते को रसूल बनाकर भेजता,
तो भी उसे इंसानी शक्ल में भेजता — ताकि लोग उससे बात कर सकें, समझ सकें और उससे सीख सकें।
क्योंकि फ़रिश्ते की असली शक्ल इंसानों के लिए न देख सकने वाली है।
यहाँ से यह भी साबित होता है कि रसूल सिर्फ़ मर्द ही बनाए गए, जैसा कि क़ुरआन में आया:
“हमने तुमसे पहले भी सिर्फ़ मर्दों को ही भेजा जिनपर हम वह़ी (वही) करते थे।” (नहल: 43)
अगर फ़रिश्ता इंसान की शक्ल में आता, तो ये लोग यही कहते:
"ये तो हमारे जैसा आदमी है, फ़रिश्ता कैसे हो सकता है?"
यानि, इनका इनकार सबूत की कमी की वजह से नहीं,
बल्कि ज़िद, घमंड और हठधर्मी की वजह से है — चाहे हक़ किसी भी शक्ल में आए।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 9 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 7 which provides the complete commentary from verse 7 through 11.

सूरा आयत 9 तफ़सीर (टिप्पणी)