लिप्यंतरण:( Qul falillaahil hujjatul baalighatu falaw shaaa'a lahadaakum ajma'een )
कह दो: तो अल्लाह की हुज्जत (दलील) पूरी और क़ाति (पुख़्ता) है [344]। अगर वह चाहता तो तुम सबको हिदायत दे देता [345]।
नबियों के ज़रिये जो इल्म और हक़ आया है, वह बिल्कुल यक़ीनी और पुख़्ता है। उसे अंदाज़े, शक या अटकलों से झुटलाया नहीं जा सकता। अल्लाह की दलील हमेशा फ़ैसला-कुन और बाध्यकारी है।
यहाँ हिदायत से मतलब सिर्फ़ रास्ता दिखाना नहीं, बल्कि उस पर क़बूलियत और अमल की तौफ़ीक़ देना है। अगर अल्लाह चाहता तो सबको यह तौफ़ीक़ मिल जाती, मगर उसने इन्सान को इख़्तियार (आज़ादी-ए-इख़्तियार) देकर आज़माइश में डाला है।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 149 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 148 which provides the complete commentary from verse 148 through 150.

सूरा आयत 149 तफ़सीर (टिप्पणी)