Quran Quote  : 

कुरान मजीद-6:48 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَمَا نُرۡسِلُ ٱلۡمُرۡسَلِينَ إِلَّا مُبَشِّرِينَ وَمُنذِرِينَۖ فَمَنۡ ءَامَنَ وَأَصۡلَحَ فَلَا خَوۡفٌ عَلَيۡهِمۡ وَلَا هُمۡ يَحۡزَنُونَ

लिप्यंतरण:( Wa maa nursilul mursaleena illaa mubashshireena wa munzireena faman aamana wa aslaha falaa khawfun 'alaihim wa laa hum yahzanoon )

और हम रसूलों को नहीं भेजते मगर खुशखबरी देने वाले और डर सुनाने वाले बना कर [94]। फिर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अपनी इस्लाह कर ली, तो उनके लिए न कोई ख़ौफ़ होगा और न ही वे ग़मगीन होंगे।

सूरा आयत 48 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-अनआम – आयत 48 की तफ़्सीर

✅ [94] नबी का मिशन: बशारत और इन्ज़ार

  • अल्लाह ने तमाम पैग़म्बरों को इसलिए भेजा कि वे लोगों को अल्लाह की रहमत और जन्नत की खुशखबरी दें और अज़ाब और जहन्नम से डराएं
  • यही दो काम रहमतुल्लिल-आलमीन हज़रत मुहम्मद ﷺ की भी अहम ज़िम्मेदारी थे।
  • पहले नबी कभी-कभी आने वाले किसी नबी की भी बशारत देते थे, लेकिन चूंकि हुज़ूर ﷺ आख़िरी नबी हैं, इसलिए आप सिर्फ़ अंतिम संदेश की तस्दीक़ के लिए आए।

जब भी कुरआन में बशारत और इंज़ार साथ आते हैं:

  • बशारत अल्लाह की रहमत और इनाम की होती है
  • और इंज़ार अल्लाह के अज़ाब और इंसाफ़ की

इस तरह यह आयत अल्लाह की रहमत और अद्ल (इन्साफ़) का मुहतात (संतुलित) नमूना पेश करती है।
जो लोग ईमान लाते हैं और अपने हालात सुधारते हैं, उनके लिए ना डर है और ना ग़म — यानी दुनिया और आख़िरत दोनों में सुकून और निजात

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-Anam verse 48 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 46 which provides the complete commentary from verse 46 through 49.

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