लिप्यंतरण:( Zaalika hudal laahi yahdee bihee mai yashaaa'u min 'ibaadih; wa law ashrakoo lahabita 'anhum maa kaanoo ya'maloon )
यह अल्लाह की हिदायत है। वह अपने बन्दों में से जिसे चाहता है, उसे हिदायत देता है [175]। और अगर वे अल्लाह के साथ किसी को शरीक करते, तो उनके सारे अमल ज़ाया हो जाते [176]
इस आयत में साफ़ किया गया है कि नुबूवत की हिदायत सिर्फ उन्हीं को मिलती है जिन्हें अल्लाह चुनता है। यह न तो उम्र भर की इबादत से मिलती है और न ही मेहनत से। कोई भी अपने प्रयास से नबी के दर्जे तक नहीं पहुँच सकता, यह सिर्फ अल्लाह की मर्ज़ी पर है।
इस आयत में फ़र्ज़ी तौर पर चेतावनी दी गई है कि अगर पैग़म्बर भी शिर्क करते, तो उनके सारे अमल मिट जाते। लेकिन उनके अमल—जैसे काबा, सफ़ा, मरवा और कुर्बानी—हमेशा बाक़ी रहे, जो उनके सच्चे ईमान की दलील है। इसी तरह सहाबा का अमल भी उनकी ख़ुलूस और अटूट ईमान को साबित करता है
The tafsir of Surah Al-Anam verse 88 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 84 which provides the complete commentary from verse 84 through 90.

सूरा आयत 88 तफ़सीर (टिप्पणी)