Quran Quote  : 

कुरान मजीद-6:20 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

ٱلَّذِينَ ءَاتَيۡنَٰهُمُ ٱلۡكِتَٰبَ يَعۡرِفُونَهُۥ كَمَا يَعۡرِفُونَ أَبۡنَآءَهُمُۘ ٱلَّذِينَ خَسِرُوٓاْ أَنفُسَهُمۡ فَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ

लिप्यंतरण:( Allazeena aatainaa humul Kitaaba ya'rifoonahoo kamaa ya'rifoona abnaaa'ahum; allazeena khasirooo anfusahum fahum laa yu'minoon )

जिन्हें हमने किताब दी, वे इस नबी को ऐसे पहचानते हैं जैसे अपने बेटों को पहचानते हैं [41]। लेकिन जिन्होंने अपनी जानों को घाटे में डाला है, वे ईमान नहीं लाते [42]।

सूरा आयत 20 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-अनआम – आयत 20 की तफ़्सीर

✅ [41] अपने बेटों जैसी पहचान

जैसे एक बाप अपने बेटे को बिना किसी शक के पहचानता है,
उसी तरह अहले किताब इस नबी को पहचानते हैं
उनके पास किताबी निशानियाँ हैं जो नबी मुहम्मद ﷺ की पहचान कराती हैं।
मगर सिर्फ पहचान ही काफ़ी नहीं होती,
हक़ीक़ी ईमान तब होता है जब उसे कुबूल किया जाए और इज़हार किया जाए।

✅ [42] जलन और घमंड की वजह से इनकार

इन लोगों ने जानबूझकर ईमान से इनकार किया,
क्योंकि उनके दिलों में हसद और तकब्बुर था।
उनकी रूहें तबाह हो चुकी हैं,
और अगर तौबा न करें तो कुफ़्र की हालत में ही मरेंगे
शैतान की तरह, जिनके दिलों में हक़ से जलन होती है,
वही हमेशा सच्चाई का इनकार करते रहते हैं।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-Anam verse 20 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 17 which provides the complete commentary from verse 17 through 21.

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