लिप्यंतरण:( Qul ara'aitakum in ataakum 'azaabul laahi baghtatan aw jahratan hal yuhlaku illal qawmuz zaalimoon )
कहो (ऐ नबी), “क्या तुमने सोचा है कि अगर अल्लाह का अज़ाब तुम पर अचानक या खुले तौर पर आ जाए, तो क्या ज़ालिमों के सिवा कोई और हलाक किया जाएगा?” [93]
इस आयत में "ज़ालिम" से मुराद काफ़िर और हक़ को झुटलाने वाले हैं।
हदीसों के मुताबिक़, अगर किसी मोमिन को ऐसे अज़ाब में मौत आए, तो वह शहादत के दर्जे में होता है।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 47 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 46 which provides the complete commentary from verse 46 through 49.

सूरा आयत 47 तफ़सीर (टिप्पणी)