Quran Quote  : 

कुरान मजीद-6:155 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَهَٰذَا كِتَٰبٌ أَنزَلۡنَٰهُ مُبَارَكٞ فَٱتَّبِعُوهُ وَٱتَّقُواْ لَعَلَّكُمۡ تُرۡحَمُونَ

लिप्यंतरण:( Wa haazaa Kitaabun anzalnaahu Mubaarakun fattabi'oohu wattaqoo la'al lakum turhamoon )

और यह वह किताब है जिसे हमने नाज़िल किया, यह मुबारक (बर्क़त वाली) [366] है। तो तुम इसकी पैरवी करो और अल्लाह से डरते रहो, ताकि तुम पर रहमत हो [367]।

सूरा आयत 155 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-अनआम – आयत 155 की तफ़्सीर

✅ [366] क़ुरआन की बर्क़त

  • क़ुरआन को मुबारक कहा गया क्योंकि यह नाज़िल हुआ:
    • मुबारक महीने रमज़ान में,
    • पाक फ़रिश्ता जिब्राईल (अ.स.) के ज़रिये,
    • सबसे अज़ीम नबी हज़रत मुहम्मद ﷺ पर।
  • इसकी आयतें जहाँ भी पढ़ी और अपनाई जाती हैं, वहाँ बर्क़त उतरती है — ज़मीन, घर और दिल सब में।

✅ [367] रहमत पाने का रास्ता: इत्तेबा और तक़वा

  • अल्लाह की रहमत पाने के लिए दो चीज़ें लाज़िमी हैं:
    1. क़ुरआन की इताअत (ज़ाहिरी इस्लाह)
    2. तक़वा यानी अल्लाह का ख़ौफ़ (बातिनी इस्लाह)
  • इताअत में शामिल है:
    • क़ुरआन,
    • सुन्नत (हदीस),
    • उलमा की सही रहनुमाई और इज्मा (उम्मत का इत्तेफ़ाक़)

✅ शरीअत का ढाँचा

  • शरीअत चार बुनियादी स्रोतों पर क़ायम है:
    1. क़ुरआन
    2. हदीस
    3. इज्मा
    4. क़ियास
  • इसलिए, उलमा और नबी ﷺ की इताअत हक़ीक़त में अल्लाह की इताअत है (सूरा अन-निसा 4:59)।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-Anam verse 155 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 154 which provides the complete commentary from verse 154 through 155.

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