लिप्यंतरण:( Qulil laahu yunajjjeekum minhaa wa min kulli karbin summa antum tushrikoon )
कहो, "अल्लाह ही तुम्हें इससे और हर तरह की परेशानी से निजात देता है, फिर भी तुम उसके साथ शरीक ठहराते हो [129]।"
यह आयत बताती है कि सिर्फ़ अल्लाह ही हर तरह की मुसीबत से बचाने वाला है, यहाँ तक कि काफ़िरों को भी, जो संकट के वक़्त अस्थायी तौर पर उसी को पुकारते हैं। कभी-कभी उनकी सच्ची पुकार को अल्लाह क़बूल भी कर लेता है, जैसे शैतान की लंबी उम्र की दुआ क़बूल की गई थी। मगर निजात मिलने के बाद वे फिर शिर्क की तरफ लौट जाते हैं। असल कमी दुआ में नहीं, बल्कि बचाए जाने के बाद ईमान और शुक्रगुज़ारी के न होने में है।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 64 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 63 which provides the complete commentary from verse 63 through 65.

सूरा आयत 64 तफ़सीर (टिप्पणी)