Quran Quote  : 

कुरान मजीद-6:59 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

۞وَعِندَهُۥ مَفَاتِحُ ٱلۡغَيۡبِ لَا يَعۡلَمُهَآ إِلَّا هُوَۚ وَيَعۡلَمُ مَا فِي ٱلۡبَرِّ وَٱلۡبَحۡرِۚ وَمَا تَسۡقُطُ مِن وَرَقَةٍ إِلَّا يَعۡلَمُهَا وَلَا حَبَّةٖ فِي ظُلُمَٰتِ ٱلۡأَرۡضِ وَلَا رَطۡبٖ وَلَا يَابِسٍ إِلَّا فِي كِتَٰبٖ مُّبِينٖ

लिप्यंतरण:( Wa 'indahoo mafaatihul ghaibi laa ya'lamuhaaa illaa Hoo; wa ya'lamu maa fil barri walbahr; wa maa tasqutu minw waraqatin illaa ya'lamuhaa wa laa habbatin fee zulumaatil ardi wa laa ratbinw wa laa yaabisin illaa fee Kitaabim Mubeen )

कह दीजिए, "अगर वह चीज़ मेरे पास होती जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे हो, तो मेरे और तुम्हारे बीच का फैसला हो चुका होता [118]। और अल्लाह अच्छी तरह जानता है ज़ालिमों को।"

सूरा आयत 59 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

सूरा अल-अनआम – आयत 58

✅ [118]

अगर मामला मेरे हाथ में होता, तो दोषियों का सफ़ाया हो चुका होता
काफ़िर लोग सज़ा की जल्दी मचा रहे थे और नबी ﷺ से माँग रहे थे कि अगर वह सच्चे हैं तो तुरंत अज़ाब ले आएं। इस आयत में जवाब दिया गया कि अगर यह अधिकार नबी ﷺ के पास होता, तो ज़मीन उनके दुश्मनों से पाक़ हो चुकी होती और फ़ैसला फ़ौरन हो जाता। लेकिन ऐसे मामले पूरी तरह अल्लाह के हाथ में हैं। नबी ﷺ बस उसके हुक्म के इंतज़ार में रहते हैं। अल्लाह हर ज़ालिम को पूरी तरह जानता है और उसका इंसाफ़ बेवजह देर नहीं करता।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-Anam verse 59 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 55 which provides the complete commentary from verse 55 through 59.

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