लिप्यंतरण:( Ulaaa'ikal lazeena hadal laahu fabihudaahumuq tadih; qul laaa as'alukum 'alaihi ajran in huwa illaa zikraa lil 'aalameen )
ये वे लोग हैं जिन्हें अल्लाह ने हिदायत दी, तो तुम उनकी हिदायत का पीछा करो [181]। कह दीजिए (ऐ प्यारे नबी): मैं तुमसे इसके (कुरआन के) लिए कोई मजदूरी नहीं माँगता [182]। यह तो सिर्फ सारे जहानों के लिए नसीहत है [183]
उनकी हिदायत का पीछा करो से मुराद पिछले नबियों की खूबियाँ हैं, जो पूरी तरह हुज़ूर ﷺ में मौजूद हैं। इसका मतलब यह नहीं कि अब दूसरे नबियों की इताअत की जाए, बल्कि वह सब के सरदार हैं और उनके सारे कमालात आप ﷺ में जमा हैं।
नबी ﷺ ऐलान करते हैं कि वह कुरआन पहुँचाने के बदले कोई इनाम या मुआवज़ा नहीं माँगते। उनका मिशन एक तोहफ़ा है, सौदा नहीं। जैसे अल्लाह बिना माँगे देता है, वैसे ही नबी ﷺ भी देते हैं, और उनका बदला सिर्फ अल्लाह ही दे सकता है।
एक सच्चा नबी कभी नुबूवत को रोज़गार नहीं बनाता, बल्कि खुद कमाकर लोगों को देता है। झूठे दावेदार, जैसे मिर्ज़ा क़ादियानी, ने मज़हब को फायदे के लिए इस्तेमाल किया। हुज़ूर ﷺ सारे जहानों—इंसान, जिन्न, फ़रिश्ते, जानवर—के लिए रहमत हैं, और कुरआन सबके लिए एक याददिहानी है।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 90 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 84 which provides the complete commentary from verse 84 through 90.

सूरा आयत 90 तफ़सीर (टिप्पणी)