Quran Quote  : 

कुरान मजीद-6:30 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَلَوۡ تَرَىٰٓ إِذۡ وُقِفُواْ عَلَىٰ رَبِّهِمۡۚ قَالَ أَلَيۡسَ هَٰذَا بِٱلۡحَقِّۚ قَالُواْ بَلَىٰ وَرَبِّنَاۚ قَالَ فَذُوقُواْ ٱلۡعَذَابَ بِمَا كُنتُمۡ تَكۡفُرُونَ

लिप्यंतरण:( Wa law taraa iz wuqifoo 'alaa Rabbihim; qaala alaisa haazaa bilhaqq; qaaloo balaa wa Rabbinaa; qaala fazooqul 'azaaba bimaa kuntum takfuroon )

और काश तुम देख सको जब उन्हें उनके रब के सामने खड़ा किया जाएगा [56]। वह कहेगा: क्या यह (दूसरी ज़िंदगी) हक़ नहीं है? [57] वे कहेंगे: हाँ, हमारे रब की क़सम। वह कहेगा: तो अब अपने कुफ़्र के बदले में अज़ाब का मज़ा चखो [58]।

सूरा आयत 30 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-अनआम – आयत 30 की तफ़्सीर

✅ [56] अल्लाह के दीदार से महरूमी

क़यामत के दिन काफ़िरों को अल्लाह के सामने खड़ा किया जाएगा, मगर उन्हें अल्लाह का दीदार नहीं मिलेगा। अल्लाह का दीदार केवल ईमानदारों के लिए जन्नत में एक खास इनाम होगा। जैसा कि अल्लाह ने फ़रमाया: "हरगिज़ नहीं, उस दिन वे अपने रब को देखने से रोक दिए जाएंगे" (सूरा 83:15)। यही महरूमी भी एक सज़ा है।

✅ [57] इकरार के लिए सवाल, मालूमात के लिए नहीं

जब अल्लाह पूछेगा: "क्या यह हक़ नहीं है?", तो यह सवाल जानने के लिए नहीं बल्कि इकरार कराने के लिए होगा। काफ़िर उस वक़्त अपनी नाक़ाबिले-इनकार हकीकत को मानेंगे, जिससे उनकी इनकार करने की गहराई और अज़ाब की अद्लिय्यत साबित हो जाएगी।

✅ [58] इनकार की सज़ा — बिलकुल जायज़

फिर कहा जाएगा: "तो अब अज़ाब चखो..." — यह अल्फ़ाज़ या तो फ़रिश्तों की तरफ़ से होंगे, जिन्हें अल्लाह का नायब बनाकर भेजा गया, या ख़ुद अल्लाह की तरफ़ से होंगे। दूसरे आयतों में जो आता है कि अल्लाह काफ़िरों से बात नहीं करेगा, वह रहमत की बातों के सिलसिले में है; जबकि यहाँ की तक़रीर ग़ज़ब और इनसाफ़ का इज़हार है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-Anam verse 30 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 27 which provides the complete commentary from verse 27 through 30.

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