Quran Quote  : 

कुरान मजीद-6:15 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

قُلۡ إِنِّيٓ أَخَافُ إِنۡ عَصَيۡتُ رَبِّي عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٖ

लिप्यंतरण:( Qul inneee akhaafu in 'asaitu Rabbee 'azaaba Yawmin 'Azeem )

आप फ़रमा दीजिए (ऐ महबूब ﷺ):
"अगर मैं अपने रब की ना-फ़रमानी करूं,
तो मुझे एक बहुत बड़े दिन के अज़ाब का डर है [31]।"

सूरा आयत 15 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

📖 सूरा अल-अनआम – आयत 15 की तफ़्सीर

✅ [31] नामुमकिन बात पर शर्त — मगर सबक के लिए

इस आयत में नबी करीम ﷺ को हुक्म दिया गया कि वो कहें:
"अगर मैं ना-फ़रमानी करूं..."
हालांकि ये बात नामुमकिन है, क्योंकि

  • नबी ﷺ से अल्लाह की ना-फ़रमानी हो ही नहीं सकती,
  • और न ही अल्लाह के महबूब ﷺ पर आख़िरत का अज़ाब आ सकता है।

ये सिर्फ़ एक तालीमी और इबरतनाक अंदाज़ में कही गई बात है,
ताकि लोगों को डर और समझ आए।

➡️ इसी तरह का अंदाज़ सूरा अज़-ज़ुखरुफ़ (43:81) में भी है:
"कह दो: अगर रहमान की कोई औलाद होती, तो मैं सबसे पहले उसकी इबादत करता।"
– ये भी एक मुहाल (असंभव) मिसाल है,
जिसका मक़सद है झूठे अकीदों की रद्दी करना और हक़ को उजागर करना

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-Anam verse 15 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 12 which provides the complete commentary from verse 12 through 16.

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