लिप्यंतरण:( Wa tilka hujjatunaaa aatainaahaaa Ibraaheema 'alaa qawmih; narfa'u darajaatim man nashaaa'; inna Rabbaka Hakeemun 'Aleem )
और यही दलील है जो हमने इब्राहीम को उनकी क़ौम के मुक़ाबले में दी [166]। हम जिसको चाहें, उसे दरजों में ऊँचा करते हैं [167]। निस्संदेह, आपका रब हिकमत वाला, जानने वाला है [168]।
इस आयत से स्पष्ट है कि हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दलीलें अल्लाह की तरफ़ से सिखाई गई थीं, न कि इंसानी शिक्षा से। अंबिया को सीधे अल्लाह शिक्षा देता है और वह उसी के हुक्म के ताबे होते हैं। सूरज और सितारों के बारे में उनका कहना "यह मेरा रब है" शिर्क नहीं था, बल्कि एक इलाही सबूत था। अल्लाह ने इसे "हमारी दलील" कहा, जिससे इसका दिव्य स्रोत साबित होता है।
"हम जिसे चाहें, उसे दर्जों में ऊँचा करते हैं" का मतलब है कि रुतबा और मक़ाम अल्लाह के फ़ज़्ल से मिलता है, केवल इंसानी मेहनत से नहीं। अल्लाह जिसे चाहता है, उसे इज़्ज़त और हिदायत देता है, यह सब उसकी हिकमत के मुताबिक़ होता है।
ऊँचा मक़ाम केवल आमाल पर नहीं, बल्कि अल्लाह की रहमत और चुनाव पर आधारित है। जिस तरह आदम अलैहिस्सलाम के लिए फ़रिश्तों को सज्दा का हुक्म हुआ, जबकि उन्होंने अभी कोई इबादत नहीं की थी, उसी तरह अंबिया सारी मख़लूक़ात से बरतर हैं। इस आयत से साबित होता है कि नबियों की बराबरी कोई नहीं कर सकता।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 83 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 80 which provides the complete commentary from verse 80 through 83.

सूरा आयत 83 तफ़सीर (टिप्पणी)