लिप्यंतरण:( Alam yaraw kam ahlaknaa min qablihim min qarnim makkannaahum fil ardi maa lam numakkil lakum wa arsalnas samaaa'a 'alaihim midraaranw wa ja'alnal anhaara tajree min tahtihim fa ahlak naahum bizunoobihim wa ansha'naa mim ba'dihim qarnan aakhareen )
क्या उन्होंने ग़ौर नहीं किया [11] कि उनसे पहले कितनी ही क़ौमें हम हलाक कर चुके हैं? उन्हें धरती में वह ताक़त दी थी जो तुमको नहीं दी [12], और हमने उनके ऊपर आसमान से ख़ूब बारिशें बरसाईं, और उनके नीचे नहरें बहाईं [13], फिर उन्हें उनके गुनाहों के कारण हलाक कर दिया, और उनके बाद दूसरी क़ौम को उठाया [14]।
“क्या उन्होंने ग़ौर नहीं किया” — यह उन क़ौमों की तरफ़ इशारा है जो पहले हलाक कर दी गईं, जिनके खंडहर और अवशेष अरब के सफ़र करने वालों को रास्ते में नज़र आते थे।
यह सिर्फ़ देखना नहीं, बल्कि इतिहास और हक़ीक़त से सीख लेने की दावत है।
पिछली क़ौमें तुम्हारे मुक़ाबले कहीं ज़्यादा मज़बूत थीं, उन्हें धरती में ऐसी इक्तिदार दी गई थी जो तुम्हें नहीं दी गई, लेकिन फिर भी वो बच न सकीं।
ये दुनिया की क़ुव्वत अल्लाह के अज़ाब के मुक़ाबले में कुछ भी नहीं।
उनके ऊपर आसमान से बारिश और नीचे से नहरें बहाई गईं, यानी उन्हें ज़मीन की नेमतें और बाहरी राहतें हर तरह से दी गई थीं।
इतिहास गवाह है कि उन्हें ये सब होने के बावजूद सज़ा मिली, जिससे मालूम होता है कि नेमतें हक़ को ठुकराने का लाइसेंस नहीं देतीं।
“दूसरी क़ौम” से मुराद है कि हलाक की गई क़ौमों की जगह अल्लाह ने दूसरी उम्मतों को बसाया — कभी तो आबाद किया, कभी उनकी बस्तियाँ वीरान ही रहीं।
ये उस इलाही उसूल का इज़हार है कि जब एक क़ौम हक़ से मुँह मोड़ती है, तो अल्लाह उसे मिटाकर दूसरों को क़ायम करता है।
The tafsir of Surah Al-Anam verse 6 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Anam ayat 4 which provides the complete commentary from verse 4 through 6.

सूरा आयत 6 तफ़सीर (टिप्पणी)